411 IPC in Hindi | धारा 411 क्या है?

411 IPC in Hindi

411 IPC in Hindi

भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 411 एक ऐसी है जो चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगाती है और संपत्ति के अवैध हस्तांतरण पर रोक लगाती है। यह एक गंभीर मुद्दा है और इस धारा में उन व्यक्तियों के खिलाफ दंड का प्रावधान देखने को मिलता है जो बेईमानी से दूसरों की संपत्ति को हासिल करते हैं। इस धारा का मुख्य उद्देश्य समाज में न्याय और व्यवस्था की सुरक्षा को बनाए रखना है, ताकि लोग अपनी संपत्ति को सुरक्षित महसूस कर सकें।

धारा 411 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी चुराई हुई संपत्ति को यह जानते हुए भी कि वह संपत्ति चोरी की है, बेईमानी से उसे प्राप्त करता है, या ऐसा करने का प्रयास करता है, तो वह भारतीय कानून तंत्र के अनुसार ऐसे व्यक्ति को अपराधी माना जाएगा। 

धारा 411 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 411 के अंतर्गत, चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने जैसे अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।

अपराध

चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना

दंड

3 साल का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 411 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 411 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 411 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में पीड़ित व्यक्ति यानि की संपत्ति चोरी हुई है की सहमति से समझौता किया जा सकता है।

धारा 411 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 411 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि इस अपराध में गिरफ्तार किया गया दोषी तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ सकता है।

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