293 IPC in Hindi | धारा 293 क्या है?

293 IPC in Hindi

293 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 293 एक महत्वपूर्ण धारा है जो युवाओं को अश्लील वस्तुओं से दूर रहने की प्रेरणा प्रदान करती है और युवाओं की सुरक्षा और समाज की सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करती है। इस धारा के तहत अश्लील वस्तुओं की बिक्री और उनका प्रचार करना गैरकानूनी माना जाता है, जो समाज में नाबालिगों और युवाओं के लिए हानिकारक हो सकता है। यह धारा न केवल अश्लीलता के खिलाफ कठोरता से कार्रवाई करती है।

धारा 293 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 293 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी युवा व्यक्ति (जिसकी आयु बीस साल से कम हो) को अनतिम पूर्वगामी धारा में निर्दिष्ट किसी भी प्रकार की कोई अश्लील वस्तु बेचेगा, भाड़े पर देगा, उसका वितरण करेगा, उसे प्रदर्शित करेगा या उसकी प्रस्थापना करेगा अथवा उसे परिचालित करेगा या ऐसा करने का प्रयत्न करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार व्यभिचार के अपराध का दोषी माना जाता है।

धारा 293 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 293 के अंतर्गत, युवाओं को अश्लील वस्तुओं को बेचने जैसे अपराधों के लिए प्रथम दोषसिद्धि पर तीन वर्ष की अवधि के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में दो हजार रुपए तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है, जबकि तथा दूसरी बार दोषी पाए जाने पर अपराधी को सात वर्ष तक की अवधि के कारावास के साथ पांच हजार रुपए तक के जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।

अपराध

युवाओं को अश्लील वस्तुओं की बिक्री करना आदि

दण्ड

प्रथम दोषसिद्धि पर तीन वर्ष का कारावास और आर्थिक दण्ड के रूप में दो हजार रुपए तक के जुर्माना, जबकि दूसरी दोषसिद्धि पर सात वर्ष का कारावास और पांच हजार रुपए तक के जुर्माना

अपराध श्रेणी

 

संज्ञेय

जमानत

जमानतीय

 

विचारणीय

 

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 293 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 293 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस को अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 293 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किये जाते हैं।

धारा 293 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 293 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 293 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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