भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 228 एक महत्वपूर्ण धारा है, जो सरकारी कर्मचारियों और लोक सेवकों की सुरक्षा के लिए निर्मित किया गया है। इस आईपीसी के तहत, न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए किसी लोक सेवक का साशय अपमान करना या उसके कार्य में व्यवधान डालना एक गंभीर अपराध माना जाता है। यह धारा न्याय और व्यवस्था की रक्षा के लिए कानूनी उपाय काफी महत्वपूर्ण है। समाज के निर्माण में सरकारी कर्मचारी और लोक सेवकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए, उनकी सम्मान और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना आवश्यक है। आईपीसी की धारा 102 इसी उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयास करती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 228 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति लोक सेवक के पद पर कार्य करते हुए, किसी लोक सेवक न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में बैठे हुए, साशय से किसी का अपमान करता है या उसके कार्य में कोई विध्न डालता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 228 के अंतर्गत, न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए किसी लोक सेवक का साशय अपमान करना या उसके कार्य में व्यवधान डालने जैसे अपराध में अपराधी के लिए छह महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजा के लिए सरल कारावास का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए किसी लोक सेवक का साशय अपमान करना या उसके कार्य में व्यवधान डालना। |
दण्ड |
6 महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों के लिए सरल कारावास |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय (आंध्र प्रदेश में संज्ञेय) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
पाठ XXVI, के अधीन जिस कोर्ट में अपराध किया गया है |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 228 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू नहीं की जा सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 228 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों पर विचार उसी न्यायालय में किया जाता है, जिस कोर्ट में किया गया अपराध पाठ XXVI, के अधीन हो।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 228 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 228 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
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Bail | |
Triable By | |