भारतीय दंड संहिता की धारा 164 में महिला की सहमति के बिना गर्भपात करने से संबंधित मामलों के बारे पर प्रावधान किया गया है। इस धारा में विस्तृत रूप से यह बताया गया है कि किन परिस्थितियों में इस तरह के मामले को कृत्य अपराध माना जाता है और इसमें किस तरह के दंड का प्रावधान किया गया है।
यदि कोई पक्षकार अदालत में किसी दस्तावेज को पेश करने से इन्कार कर देता है, जिसे अदालत में साक्ष्य के रूप में पेश करना हो और उसे इस बात की सूचना मिल चूकी हो, तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 164 के अंतर्गत दोषी माना जाता है।
धारा 164 के अनुसार, जज के सामने पीड़िता द्वारा दिया गया बयान सत्य माना जाता है, हालांकि कोर्ट के आदेश अनुसार इसे पूर्णता ठोस सबूत नहीं माना जा सकता। इसे पूर्णता ठोस सबूत नहीं माना जाता केवल साक्ष्य के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 164 के अंतर्गत आने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है और आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का भी प्रावधान है।
अपराध |
सूचना पाने पर जिस दस्तावेज के पेश करने से इन्कार कर दिया गया है उसकी साक्ष्य के रूप में उपयोग में लाना |
दंड |
3 वर्ष तक कठोर कारावास और जुर्माना |
आवश्यक तत्व |
गर्भपात का कृत्य, सहमति का अभाव, इरादा |
अन्य प्रावधानों से संबंध |
धारा 312 और 313 को पूरक |
अपवाद |
MTP अधिनियम के तहत गर्भपात, चिकित्सकीय आपातकाल |
कुछ मुख्य तत्व हैं, जो धारा 164 को परिभाषित करते हैं। इस धारा के तहत अपराध स्थापित करने के लिए कुछ आवश्यक तत्व होने चाहिए, जो कि निम्नलिखित है। इस तत्वों में से प्रत्येक तत्व यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि अभियुक्त की दोषी है या नहीं।
गर्भपात से सम्बंधित कुछ ऐसे भी मामले होते हैं, जहाँ धारा 164 के अंतर्गत किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जाता है। ऐसे मामले जहाँ धारा 164 लागू नहीं होगी, निम्नलिखित हैं।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |