भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 461 किसी की संपत्ति को बेईमानी से तोड़कर खोलने करने के बारे में संज्ञान लेती है। इस धारा के माध्यम से किसी भी ऐसे पात्र को क़ानूनी सजा हो सकती है जिसने अनैतिक तरीके से संपत्ति को हासिल किया है या फिर उसकी सुरक्षा से छेड़छाड़ करने की कोशिश करता है। इस धारा का का मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार और बेईमानी को खत्म कर एक सुरक्षित समाज का विकास करना है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 461 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे बंद पात्र को बेईमानी से या रिष्टि करने के उद्देश्य से तोड़कर उसे खोलता है या उपबंधित करे अथवा ऐसा करने का प्रयास करता है, जिसमें संपत्ति अथवा कोई मूल्यवान वस्तु हो या फिर होने का विश्वास हो, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून में अपराधी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 461 के अंतर्गत, ऐसे पात्र को बेईमानी से तोड़कर खोलना जिसमें संपत्ति है जैसे अपराधों के लिए 2 साल के लिए कारावास और आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना, अथवा दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
ऐसे पात्र को बेईमानी से तोड़कर खोलना जिसमें संपत्ति है |
दण्ड |
2 साल के लिए कारावास और आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना, अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय |
जमानत |
गैर जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 461 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 461 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 461 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 461 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
स्वयं को सशक्त बनाएं: आईपीसी 147 सीखेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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