भारतीय कानूनी प्रणाली (IPC), 1860 की धारा 147 एक महत्वपूर्ण धारा है यह एक ऐसी धारा है, जो समाज में असुरक्षा और उपद्रव फैलाने के बारे में संज्ञान लेती है। यह एक गंभीर अपराध है जो सामाजिक समर्थन और सुरक्षा की भावना को कमजोर करता है और लोगों के बीच असमंजस को बढ़ा सकता है। यह धारा सामाजिक न्याय और सुरक्षा की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है ताकि लोग शांति और सुरक्षित माहौल में रह सकें।
भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के अंतर्गत, कोई व्यक्ति किसी भी स्थान पर किसी भी प्रकार का दंगा अथवा उपद्रव भड़काने का काम करता है, तो ऐसा काम करना भारतीय कानून के अंतर्गत गैर-कानूनी माना जाता है और ऐसा करने वाले व्यक्ति को अपराधी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 के अंतर्गत किसी भी प्रकार का दंगा या उपद्रव फैलाने जैसे अपराध के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए दो साल का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
उपद्रव/दंगे करना |
दण्ड |
दो साल का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
जमानत |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच कर सकती है और अपराधी को पकड़ने के लिए भी वारंट की आवश्यकता नहीं होती है। धारा 147 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 147 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
आईपीसी 437 का अनावरण: जानने के लिए क्लिक करेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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