404 IPC in Hindi | धारा 404 क्या है?

404 IPC in Hindi

404 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 404 मृत व्यक्ति की सम्पत्ति के दुरुपयोग के बारे में संज्ञान लेती है। यह अपराध IPC की धारा 404 में परिभाषित है और यह अपराध किसी व्यक्ति द्वारा उस समय किया जाता है जब पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी होती है। इस प्रकार के अपराध में समाज के साथ विशेष रूप से आत्मविश्वास और विश्वासघात का मामला होता है। यह अपराध न केवल उस व्यक्ति के परिवार को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि समाज के भरोसे और विश्वास को भी कमजोर करता है। इस प्रकार के अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।

धारा 404 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 404 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी सम्पत्ति को जो किसी व्यक्ति की मॄत्यु के समय उस मॄत व्यक्ति के कब्जे में थी, उसके बाद से किसी व्यक्ति के कब्जे में नहीं रही है, जो कि उस कब्जे का वैध रूप से हकदार है, की सम्पत्ति को पाने के लिए बेईमानी से गबन/दुरुपयोग करेगा या अपने उपयोग के लिए संपरिवर्तित करा लेगा, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाता है।

धारा 404 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 404 के अंतर्गत, मॄत व्यक्ति की मॄत्यु के समय उसके कब्जे में सम्पत्ति का बेईमानी से गबन/दुरुपयोग करने वाले अपराधों के लिए 3 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन अगर अपराधी, व्यक्ति की मॄत्यु के समय लिपिक या सेवक हो, तो उसके लिए 7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने का प्रावधान है।

अपराध

मॄत व्यक्ति की मॄत्यु के समय उसके कब्जे में सम्पत्ति का बेईमानी से गबन/दुरुपयोग करना

यदि अपराधी, व्यक्ति की मॄत्यु के समय लिपिक या सेवक हो

दण्ड

3 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना

7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना

अपराध श्रेणी

गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं)

गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

जमानतीय

जमानतीय

विचारणीय

प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष

प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष

धारा 404 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 404 के अंतर्गत किये गए अपराधों को गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध में शामिल किया जाता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 404 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के अपराधों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।

धारा 404 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 404 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 404 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

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