भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 418 छल के बारे में संज्ञान लेती है। यह धारा भारतीय कानून व्यवस्था में न्याय और समानता की महत्वपूर्ण स्तंभ है। धारा 418 के तहत छल करने वाले व्यक्ति को कठोरता से दंडित किया जाता है, जिससे सामाजिक न्याय और शांति को स्थिर रखा जा सके। यह धारा समाज में विश्वास और विश्वासघात को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जो कि भारतीय समाज में भ्रष्टाचार और अपराध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 418 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए भी उस व्यक्ति को सदोष हानि पहुंचाता है या पहुंचाने का प्रयास करता है, जिसका हित उस संव्यवहार में हो जिससे वह छल संबंधित है, जिसे संरक्षित रखने के लिए वह या तो विधि द्वारा, या वैध संविदा द्वारा, आबद्ध था, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 418 के अंतर्गत, इस जानते हुए छल करना कि उस व्यक्ति को सदोष हानि हो सकती है जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी आबद्ध हो जैसे अपराधों में सजा के रूप में 3 साल का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
इस जानते हुए छल करना कि उस व्यक्ति को सदोष हानि हो सकती है जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी आबद्ध है |
दण्ड |
3 साल का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 418 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 418 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को किसी भी श्रेणी के समक्ष पेश किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 418 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 418 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
कानूनी मार्गदर्शिका: भारतीय दंड संहिता 390Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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