403 IPC in Hindi | धारा 403 क्या है?

403 IPC in Hindi

403 IPC in Hindi

धन सुरक्षित रखना और उसे बेईमानी से अपने हक के उपयोग के खिलाफ सुरक्षित रखना भी भारतीय कानूनी व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय दंड संहिता अधिनियम 1860 के अंतर्गत, धारा 403 आईपीसी

की एक महत्वपूर्ण धारा है जो सम्पत्ति का बेईमानी से गबन या दुरुपयोग करने को अपराध मानती है।

आईपीसी की यह धारा बेईमानी से हासिल की गई संपत्ति के खिलाफ उपयोग करता है। यह एक अपराध गंभीर है और इस प्रकार के अपराध के लिए कठोर दण्ड का प्रावधान किया गया है। यह धारा समाज में संपत्ति की सुरक्षा का भरोसा बनाए रखती है।

धारा 403 का प्रमुख उद्देश्य यह है कि लोगों को धन को सुरक्षित रखने के लिए सुनिश्चित किया जाए और समाज में ईमानदारी और न्याय की भावना को बढ़ावा मिले। इसके द्वारा समझाया जाता है कि सम्पत्ति का अपने हक के साथ उपयोग करना महत्वपूर्ण है लेकिन इसे बेईमानी से हासिल करना या दुरुपयोग करना अनैतिक और अवैध है। 

धारा 403 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 403 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति बेईमानी से किसी भी व्यक्ति की चल संपत्ति का गबन करता है, दुरुपयोग करता है या फिर चल संपत्ति की बेईमानी से धांधली करता है अथवा इसे अपने उपयोग के लिए संपरिवर्तित करता है, तो इस तरह के कार्य करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून की नजर में अपराधी माना जाएगा।

धारा 403 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 403 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में अगर कोई व्यक्ति डकैती करने की कोशिश करता है, तो उसके लिए 2 सालों का कठोर कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।

अपराध

सम्पत्ति का बेईमानी से गबन/दुरुपयोग करना।

दण्ड

2 सालों का कठोर कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान

अपराध श्रेणी

गैर-संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 403 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 403 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 403 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के अपराधों में न्यायालय की अनुमति से पीड़ित व्यक्ति (जिसकी संपत्ति का गबन हुआ हो) की सम्मति के द्वारा समझौता किया जा सकता है।

धारा 403 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 403 के अंतर्गत किए गए अपराधों को जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि यदि कोई व्यक्ति ऐसे मामलों में गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

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