393 IPC in Hindi | धारा 393 क्या है?

393 IPC in Hindi

393 IPC in Hindi

भारतीय दण्ड अधिनियम 1860, की धारा 393 भारतीय दंड संहिता में एक महत्वपूर्ण धारा है जो डकैती की कोशिश करने के प्रयास को दण्डित करती है। इस धारा का उद्देश्य समाज में डकैती के प्रयासों को रोकना और सजगता बढ़ाना है।

यह एक सख्त संदेश है कि किसी भी प्रकार की डकैती की कोशिश करने वाले व्यक्ति पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें सजा का स्तर व्यक्ति के पूर्व इतिहास, अपराध की गंभीरता, और अन्य संबंधित कारकों पर निर्भर करता है।

धारा 393 की अच्छी से समझने के लिए, यह जरूरी है कि लोग इस धारा के बारे में जानें और समाज में इसका सशक्त रूप से प्रचार-प्रसार करें ताकि लोगों को यह ज्ञात हो कि डकैती की कोशिश करना कितना गंभीर अपराध है और इस तरह के अपराधों से कैसे बचा जाए।

धारा 393 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी स्थान पर डकैती करने की कोशिश करता है, तो उसे भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।

धारा 393 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 393 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में अगर कोई व्यक्ति डकैती करने की कोशिश करता है, तो उसके लिए 7 साल के कठोर कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है। 

अपराध

डकैती की कोशिश करना

दण्ड

7 साल के लिए कठोर कारावास के साथ जुर्माने का प्रावधान

अपराध श्रेणी

संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 393 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 393 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 393 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलें समझौता करने योग्य नहीं होते हैं।

धारा 393 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 393 के अंतर्गत किए गए अपराधों को गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि ऐसे मामलों में कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर आना संभव नही होता है।

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