हरियाणा संशोधन अधिनियम, 2014 के अनुसार लूट के मामले दर्ज किये जाने वाली आईपीसी की धारा 379 में दो खंड जोड़े गए हैं, धारा 379 बी/379 b के बारे में बात की गई है। स्नैचिंग यानि झपटमारी एक प्रकार का गंभीर अपराध है, इससे सबसे ज्यादा महिलाएं प्रभावित होती है। पुलिस के द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार पिछले कुछ सालों में छीनाझपटी या इससे जुड़े संगीन अपराध ग्राफ काफी बढ़ गया था, इसलिए सरकार ने इस जुर्म को काम करने के लिए इसके खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए 379 में संशोधन कर 379बी को जोड़ा और इसमें अपराधियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया गया।
भारतीय दंड संहिता (IPC) में हरियाणा संशोधन अधिनियम की धारा 379 बी/379 b के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति स्नैचिंग (झपटमारी) करता है या ऐसा करने के आशय से किसी व्यक्ति को मृत्यु का खतरा हो, चोट पहुंचाती हो या गलत तरीके से रोके, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को भी दोषी मानकर गंभीर अपराध करने के जुर्म में गिरफ्तार किया जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 379 बी/379 b के अंतर्गत, स्नैचिंग करने के क्रम में गंभीर रूप से चोट पहुंचने या जान का खतरा होने पर भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए 14 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में पच्चीस हजार रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।
अपराध |
स्नैचिंग करने के क्रम में मौत, चोट पहुंचाना |
दंड |
14 वर्ष का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में पच्चीस हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 379 बी/379 b के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 379 b के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता किया जाना सम्भव नहीं है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 379 बी/379 b के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 379 b के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
आईपीसी 368 का रहस्य उजागर करें: भारतीय न्यायपालिका के लिए आपकी कुंजीOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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