368 IPC in Hindi | धारा 368 क्या है?

368 IPC in Hindi

368 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 368 में व्यक्ति की आजादी और अधिकारों की रक्षा करने का एक प्रमुख उपाय किया गया है, जिससे उन्हें अन्याय से बचाया जा सकता है। यह धारा बताती है कि किसी को अपहृत करना या कैद में रखना गलत और अनैतिक है, और इस प्रकार के कार्यों का कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए। यह धारा व्यक्ति की आजादी के अधिकारों की सुरक्षा को बढ़ावा देती है।

धारा 368 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 368 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को जानबूझ कर किसी ऐसे व्यक्ति को अपने पास छुपाता है, जिसका अपहरण किया गया हो या जिसे कैद में रखा गया हो, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाता है।

धारा 368 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

किसी अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छुपाना या कैद में रखने जैसे अपराध को भारतीय कानून के अंतर्गत गंभीर अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाता है। इस अपराध में भारतीय दंड संहिता की धारा 368 के अंतर्गत उसी दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि अपहरण के अपराध में दिया जाता है।

अपराध

किसी अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छुपाना या कैद में रखना

दंड

अपहरण के अपराध के समान

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

अपहरण के अपराध अनुसार

धारा 368 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 368 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 368 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में अदालती कार्रवाई व्यपहरण या अपहरण के अपराध अनुसार होगी।

धारा 368 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 368 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 368 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।

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