334 IPC in Hindi | धारा 334 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

334 IPC in Hindi

334 IPC in Hindi

धारा 334 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 334 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति गंभीर और अचानक प्रकोपन पर स्वयं की इच्छा से किसी को नुकसान पहुंचाने वाला काम करेगा या फिर यह जानते हुए भी कि उसके द्वारा किया गया काम किसी व्यक्ति को संभवतः क्षति पहुंचा सकता है, ऐसा अपराध करता है, तो वह व्यक्ति दोषी माना जाएगा।

धारा 334 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 334 के अंतर्गत, प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करने के अपराध के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए एक अवधि के लिए कारावास, जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड के रूप में पांच सौ रुपए तक के जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।

अपराध

प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करना

दंड

1 महीने का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में पांच सौ रुपए का जुर्माना अथवा दोनों

अपराध श्रेणी

गैर-संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य)

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 334 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 334 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर–संज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के मामलों में जाँच करने के लिए पुलिस को अदालत की अनुमति चाहिए होती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी नहीं कर सकती है। धारा 334 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में पीड़ित व्यक्ति यानि जिस पर अत्याचार हुआ, की सहमति से समझौता किया जा सकता है।

धारा 334 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 334 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 334 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

आईपीसी 305 को जानने के लिए क्लिक करें

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