456 IPC in Hindi | धारा 456 क्या है?

456 IPC in Hindi

456 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता अधिनियम 1860 के अंतर्गत, धारा 456 आईपीसी की एक महत्वपूर्ण धारा है जो गृह-अतिचार या गृह-भेदन के मामलों को सख्तता से देखती है और उसके उपर आपत्तिजनक परिणाम होने पर कारावास की सजा का प्रावधान करती है।

यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो समाज में ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त स्तंभ बनाता है और व्यक्ति को सुरक्षित रखने का प्रयास करता है। यह धारा इस तरह के मामलों के खिलाफ स्वतंत्रता और स्वतंत्रता की महत्वपूर्ण स्तर पर खड़ी होती है और समाज में डर को खत्म कर आम लोगों को सुरक्षित महसूस कराती है।

धारा 456 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 456 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करता है अथवा ऐसा करने का प्रयास करता है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।

धारा 456 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 456 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करने के लिए सजा के रूप में तीन वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजाओं का प्रावधान है।

अपराध

रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन

दण्ड

तीन वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा

अपराध श्रेणी

संज्ञेय (समझौता करने योग्य)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 456 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 456 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता नहीं पड़ती है। धारा 456 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जा सकते हैं। इस तरह के अपराधों में न्यायालय की अनुमति द्वारा पीड़ित व्यक्ति की सहमति से (जिसके साथ धोखा हुआ हो) समझौता करना संभव नहीं होता है।

धारा 456 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 456 के अंतर्गत किए गए अपराधों को गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि यदि कोई व्यक्ति ऐसे मामलों में गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।

आईपीसी 407 के साथ कानूनी स्पष्टता

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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