407 IPC in Hindi | धारा 407 क्या है?

407 IPC in Hindi

407 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता अधिनियम 1860 के अंतर्गत, धारा 407 आईपीसी की एक महत्वपूर्ण धारा है जो सम्पत्ति का बेईमानी से गबन या दुरुपयोग करने को अपराध मानती है।

इस धारा के तहत, कार्यवाहक, घाट, आदि के माध्यम से व्यक्ति के विश्वास को ठगने की क्रियाएं शामिल होती हैं। इस धारा के अंतर्गत, ऐसे कार्यवाहकों को कड़ा दण्ड मिल सकता है।

इस धारा के प्रावधानों के माध्यम से समाज को सुरक्षित रखा जा रहा है, ताकि लोग अपने आत्मविश्वास के साथ जी सकें और उन्हें धोखा न देना पड़े। यह विश्वास के आपराधिक उल्लंघन को रोकने का एक प्रभावी तरीका है और समाज में न्याय की भावना को बढ़ावा देता है।

धारा 407 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 407 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति कार्यवाहक, घाटवाल, या भांडागारिक के रूप में कार्य करते हुए उसके सुपुर्द संपत्ति के साथ में किसी प्रकार का आपराधिक विश्वासघात करता है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून की नजर में अपराधी माना जाएगा।

धारा 407 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 407 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में किसी कार्यवाहक, घाटवाल या भांडागारिक के द्वारा विश्वसघात करने के लिए 2 सालों का कठोर कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।

अपराध

कार्यवाहक, घाट आदि द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन

दण्ड

2 साल के कठोर कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना

अपराध श्रेणी

संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 407 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 407 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता नहीं पड़ती है। धारा 407 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के अपराधों में समझौता करना संभव नहीं होता है।

धारा 407 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 407 के अंतर्गत किए गए अपराधों को गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि यदि कोई व्यक्ति ऐसे मामलों में गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर भी आ पाएगा।

आईपीसी 403 के बारे में जानें: आपकी कानूनी मार्गदर्शिका

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