315 IPC in Hindi | धारा 315 की अपराध श्रेणी

315 IPC in Hindi

315 IPC in Hindi

भारतीय दण्ड संहिता 1860, की धारा 315 किसी अजन्मे शिशु या फिर नवजात शिशु की मृत्यु के क्रूर अपराध की सजाओं के बारे में प्रावधान करती है। यह धारा इस तरह की अघाती प्रक्रिया को रोकने के लिए समाज में एक महत्वपूर्ण कदम है। धारा 315 मानवाधिकार और नैतिकता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। शिशु का जीवित पैदा होना एक मानवाधिकार है और इसका उत्पीड़न या हत्या करना अत्यंत नैतिक अनैतिकता है। यह धारा ऐसी अमानवीय प्रवृत्ति के खिलाफ है और समाज को इससे बचाव करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने का निर्देश करती है।

धारा 315 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 315 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी भी शिशु के जन्म से पहले कोई कार्य ऐसा कार्य करता है, जिससे उस शिशु का पैदा होना रोका जा सके या फिर कोई ऐसा कार्य करे जिससे शिशु की जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु हो जाए तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।

धारा 315 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 315 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से कोई कार्य करने के अपराध में अपराधी के लिए 10 साल के कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने या फिर दोनों सजाओं का प्रावधान है।

अपराध

शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।

दण्ड

10 साल का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना या दोनों 

अपराध श्रेणी

संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय

धारा 315 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 315 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 315 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलें समझौता करने योग्य नहीं होते हैं।

धारा 315 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 315 के अंतर्गत किए गए अपराधों को गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि ऐसे मामलों में कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर आना संभव नही होता है।

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