भारतीय दण्ड अधिनियम 1860, की धारा 381 भ्रष्टाचार और अनैतिकता के खिलाफ सख्त स्थान बनाती है। इस धारा में किसी नियोक्ता या स्वामी की कब्जे की संपत्ति पर गैर-कानूनी तरीके से चोरी करना गंभीर दंडनीय अपराध माना जाता है। यह धारा सामाजिक समृद्धि और विकास के माध्यम के रूप में कार्य करती है, क्योंकि इससे स्वामी या नियोक्ता को विश्वास और सुरक्षा का माहौल मिलता है। धारा 381 के तहत अपराध की सजा भी सुनिश्चित करती है कि यह व्यापारिक और सामाजिक संबंधों को स्थापित करने के लिए सही वातावरण बनाए रखती है। इसका उल्लंघन करने वाले को कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 381 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति लिपिक या सेवक के पद पर नियुक्त होते हुए, अपने मालिक या नियोक्ता के कब्जे की किसी संपत्ति की चोरी करता है, तो ऐसा करने वाला व्यक्ति भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 381 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में क्लर्क या सेवक द्वारा स्वामी या नियोक्ता के कब्जे की संपत्ति की चोरी करने के अपराधी के लिए सात वर्ष का कारावास और आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
क्लर्क या सेवक द्वारा स्वामी या नियोक्ता के कब्जे की संपत्ति की चोरी करना। |
दण्ड |
सात वर्ष का कारावास और आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय (समझौता करने योग्य) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 381 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 381 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के अपराध में अदालत की अनुमति से पीड़ित व्यक्ति, यानी उस संपत्ति का स्वामी जिसकी संपत्ति की चोरी की गई हो के द्वारा समझौता किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 381 के अंतर्गत किए गए अपराधों को गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि ऐसे मामलों में कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर आना संभव नही होता है।
आईपीसी 303 कानून के बारे में जानकारी प्राप्त करेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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