भारतीय दण्ड अधिनियम 1860, की धारा 303 उन लोगों के खिलाफ है जो अपने दंड कारावास का उपयोग गलत तरीके से करते हैं। इस धारा का मुख्य उद्देश्य उस व्यक्ति के प्रति शिक्षा और भय का संदेश देना है जो आजीवन कारावास में सजा काट रहा है कि उसे भी समाज के नियमों का पालन करना है। इस धारा के तहत हत्या या हत्या का प्रयास करने पर आए दण्ड का विवरण बहुत सख्त है और यह समाज में इस प्रकार के अपराधों को रोकने का प्रयास करती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 303 के अंतर्गत कोई ऐसा अपराधी जिसे पहले से ही आजीवन कारावास से दण्डित किया गया हो, हत्या करता है या हत्या करने का प्रयास करता है, तो इस अपराधी दण्ड का पात्र होगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 303 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या या हत्या का प्रयास करने वाले अपराधी के लिए मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान किया गया है।
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अपराध |
आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या या हत्या का प्रयास करने के लिए दण्ड |
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दण्ड |
मौत |
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अपराध श्रेणी |
संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) |
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जमानत |
गैर-जमानतीय |
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विचारणीय |
सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 303 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 303 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलें समझौता करने योग्य नहीं होते हैं।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 303 के अंतर्गत किए गए अपराधों को गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि ऐसे मामलों में कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर आना संभव नही होता है।
विशिष्ट आईपीसी 346 धाराओं पर परामर्श| Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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| Punishment | |
| Cognizance | |
| Bail | |
| Triable By | |