भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 288 किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण का उल्लेख करती है। इस प्रकार के अपराधों से सार्वजनिक सुरक्षा पर गंभीर खतरा हो सकता है, इसलिए इस प्रकार के अपराधों को धारा 288 के अनुसार दंडनीय माना गया है। यह धारा निर्माण क्षेत्र में लापरवाही को रोकने के लिए बनाई गई है ताकि सार्वजनिक सुरक्षा और सामाजिक अनुशासन को बनाए रखा जा सके। इस तरह यह धारा भारतीय कानून में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि निर्माण कार्यों में उचित सुरक्षा और सावधानी बरती जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि निर्माण सामग्री का सही उपयोग किया जाए और व्यक्तिगत और सार्वजनिक सुरक्षा का ध्यान रखा जाए।
भारतीय दंड संहिता की धारा 288 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जो किसी भी इमारत को अथवा उसके किसी भाग को गिराने या उसकी मरम्मत करने करने का अधिकार रखता है और इस कार्य की व्यवस्था करते समय वह किसी मानव जीवन को होने वाले संभावित खतरे से बचाव करने में चूक कर रहा है या अधिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए को इसके लिए पर्याप्त हो, जानते हुए भी या उपेक्षापूर्वक इसका लोप करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार व्यभिचार के अपराध का दोषी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 288 के अंतर्गत, किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण करने जैसे अपराधों के लिए छह महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में एक हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण करना |
दण्ड |
6 महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 288 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू नहीं की जा सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 288 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले प्रथम श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष पेश किये जाते हैं। इस तरह के अपराधों में न्यायालय की अनुमति और महिला के पति की सहमति द्वारा समझौता किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 288 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 288 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
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Bail | |
Triable By | |