भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124a/124क एक महत्वपूर्ण धारा है, जो राजद्रोह के बारे में संज्ञान लेती है। भारतीय संविधान में राजद्रोह के खिलाफ धारा 124A/124क के तहत कानून है, जो कि एक गंभीर अपराध माना जाता है। यह कानून देश की आम जनता की सुरक्षा और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। इस तरह के अपराध देश के सामाजिक या राजनैतिक समृद्धि को हानि पहुंचा सकते हैं। राजद्रोह के तहत कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के लिए सख्त सजाओं का प्रावधान किया गया है। इस धारा को सर जेम्स स्टीफन ने एक संशोधन द्वारा साल 1870 में भारतीय कानून में तब जोड़ा था, जब उनकी सरकार को उल्लंघन से निपटने के लिए एक सख्त कानून की आवश्यकता महसूस की गई थी, ताकि सरकार के विरुद्ध उठ रही किसी भी आवाज व असहमति से आराम से निपटा जा सके और उसे दबाया जा सके।
भारतीय दंड संहिता की धारा 124a/124क के अनुसार, "यदि कोई व्यक्ति बोले या लिखे गए शब्दों या संकेतों द्वारा या फिर दृश्य प्रस्तुति द्वारा, भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा, अवमान या विद्रोह पैदा करेगा या ऐसा करने का प्रयत्न करेगा अथवा असंतोष उत्पन्न करेगा या सरकार को मानहानि पहुंचाने के उद्देश्य से कोई कार्य करता है, तो ऐसा कार्य करना वाला व्यक्ति भारत सरकार के अनुसार अपराधी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124a/124क के अंतर्गत राजद्रोह करने वाले अपराधों में आजीवन कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा तीन वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
राजद्रोह करना |
दण्ड |
आजीवन कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा तीन वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
सर्वोच्च न्यायालय के मजिस्ट्रेट के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124a/124क के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 124a के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को सर्वोच्च न्यायालय के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124a/124क के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 124a के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
कानूनी स्पष्टता: आईपीसी 502 की खोज करेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
---|---|---|---|---|
Offence | |
---|---|
Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |