भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 502 मानहानिकारक विषयों को बेचने पर लागू होती है। यह धारा उन व्यक्तियों के खिलाफ होती है जो मानहानिकारक सामग्री को बेचकर लोगों को धोखा देते हैं और असुरक्षा की भावना पैदा करते हैं। इस धारा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने लाभ के लिए मानहानिकारक विषयों को बेचता है, तो उसे दंडित किया जाएगा। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति धोखाधड़ी, झूठ, अशिक्षा या अन्य गलत सामग्री को बेचकर लोगों को गुमराह करता है, तो उसे धारा 502 के तहत दंडित किया जाएगा। यह धारा सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। मानहानिकारक विषयों की बाजार में बिक्री न केवल उपभोगियों को हानि पहुंचाती है, बल्कि समाज की सामाजिक संरचना और नैतिकता को भी क्षति पहुंचाती है। इससे समाज के लोग गुमराह होते हैं और समाज में अविश्वास, विवाद सम्बंधित कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटती हैं। मानहानिकारक सामग्री की बिक्री से बचने के लिए, समाज के हर व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए और इस तरह के अपराधों से बचने के लिए धारा 502 के बारे में जागरूक होना आवश्यक है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 502 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री को यह जानते हुए भी या इस बात का विश्वास रखते हुए भी कि वह किसी व्यक्ति के लिए मानहानिकारक है या हो सकती है, उसे बेचेगा या बेचने की प्रस्थापना करेगा, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून में अपराधी माना जाता है। इस धारा के अंतर्गत लागू अपराध निम्नलिखित है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 502 के अंतर्गत, मानहानिकारक विषय रखने वाली मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री को बेचने जैसे अपराधों के लिए 2 साल का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना या दोनों के लिए सरल कारावास की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
यदि कोई व्यक्ति मानहानिकारक विषय के आधार पर यह जानते हुए भी मुद्रित या उत्कीर्ण करेगा कि उससे लोक अभियोजक द्वारा राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपतिया संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक या राज्य के राज्यपाल या मंत्री के खिलाफ उनके सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में अथवा उनके किसी आचरण के संबंध में स्थापित की गई शिकायत के अनुसार मानहानि हो। |
किसी अन्य मामले में मानहानिकारक विषय मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री को बेचना |
दण्ड |
2 साल का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना या दोनों के लिए सरल कारावास |
2 साल का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना या दोनों के लिए सरल कारावास |
अपराध श्रेणी |
असंज्ञेय/गैर-संज्ञेय |
असंज्ञेय/गैर-संज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय के समक्ष |
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 502 के अंतर्गत किये जाने अपराधों को गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 502 के अंतर्गत यदि मानहानिकारक विषय रखने वाली मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री को बेचने से सम्बंधित कोई मामला राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यमंत्री, राज्यपाल आदि से जुड़ा हो तो ऐसे मामले सत्र न्यायालय के समक्ष पेश किए जा सकते हैं, वहीं अगर किसी अन्य तरह के मामलों में मानहानिकारक विषय रखने वाली मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री को बेचा जाता है, तो ऐसे मामले प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाते हैं। यदि ऐसा अपराध किसी निजी व्यक्ति के विरुद्ध किया जाता है, तो ऐसे मामलों में अपमानित व्यक्ति की सहमति द्वारा समझौता किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 502 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 502 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
कानूनी जानकारी के लिए क्लिक करें: आईपीसी 751 का अन्वेषण करेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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