500 IPC in Hindi | धारा 500 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

500 IPC in Hindi

500 IPC in Hindi

आजकल समाज में मानहानि के कई मामले देखने को मिलते हैं। मानहानि के मामले में न्याय दिलाने के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) में धारा 500 है, जो अन्य किसी भी मामले के मानहानि के अपराधों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा प्रदान करती है। यह धारा विशेष रूप से उन स्थितियों के खिलाफ होती है, जिनमें किसी व्यक्ति के मान-सम्मान को हानि पहुंचती हो। इस धारा का मुख्य उद्देश्य समाज में सभी व्यक्तियों को सम्मानपूर्ण और न्यायपूर्ण वातावरण प्रदान करना है। यह धारा आपराधिक और अनैतिक आचरणों को रोकने के लिए प्रेरित करती है।

धारा 500 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि करेगा, तो उसे भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी घोषित किया जाता है। धारा 500 में दो तरह के मामले शामिल किये जाते हैं।

  1. लोक अभियोजक द्वारा की गई शिकायत पर स्थापित किए जाने पर अपने सार्वजनिक कार्यों का निर्वहन करने में अपने आचरण के संबंध में किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या राज्यपाल या किसी राज्य के राज्यपाल या किसी मंत्री के खिलाफ मानहानि करना।
  2. अन्य किसी भी मामले में मानहानि करना।

धारा 500 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 500 के अंतर्गत शामिल किये जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो सालों तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।

अपराध

लोक अभियोजक द्वारा की गई शिकायत पर स्थापित किए जाने पर अपने सार्वजनिक कार्यों का निर्वहन करने में अपने आचरण के संबंध में किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या राज्यपाल या किसी राज्य के राज्यपाल या किसी मंत्री के खिलाफ मानहानि के अपराध में।

अन्य किसी भी मामले के मानहानि के अपराध में।

दंड

2 साल के कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों

2 साल के कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों

अपराध श्रेणी

गैर-संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य)

गैर-संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य)

जमानत

जमानतीय

जमानतीय

विचारणीय

सत्र की अदालत द्वारा विचारणीय

प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 500 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 500 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना जाँच शुरू नहीं कर सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 500 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों में से लोक अभियोजक द्वारा राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल या संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक या मंत्री के खिलाफ किये जाने वाले मानहानि के मामलों के ट्रायल सत्र की अदालत द्वारा विचारणीय होते हैं, जबकि किसी भी अन्य मानहानि के मामले प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते हैं। इस तरह के अपराधों में समझौता नहीं किया जाता है।

धारा 500 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 500 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध के मामले जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 500 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

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