भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 505 एक महत्वपूर्ण कानूनी धारा है जो समाज में शत्रुता, घृणा, या दुर्भावना की भावनाओं को फैलाने पर प्रतिबंधित करता है। इस प्रकार के अपराध को गंभीर अपराधों की श्रेणी में शामिल किया जाता है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य समाज में सामंजस्य और शांति बनाए रख सामाज में एकता की भावना का निर्माण करना है।
भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 505 के अंतर्गत शत्रुता, घॄणा या दुर्भावना की भावनाएं पैदा करने के अपराध में तीन तरह के के मामले शामिल किये जाते हैं।
इस धारा के अन्तर्गत ऐसा कोई भी कथन, जनश्रुति या सूचना अपराध की कोटि में नहीं आती, जब तक उसे रचने, प्रकाशित करने या परिचालित करने वाले व्यक्ति को इस बात का विश्वास हो कि ऐसा कथन, जनश्रुति या सूचना सत्य है और वह उसे सद्भावपूर्वक तथा पूर्वोक्त जैसे किसी आशय के बिना रचा, प्रकाशित किया या परिचालित किया हो।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 505 के अंतर्गत शामिल किये जाने वाले सभी अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने या सैन्य-विद्रोह करने के आशय से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करना और विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या दुर्भावना की भावनाएं पैदा करने के इरादे से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करने जैसे अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे तीन सालों तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है। जबकि पूजा के स्थान पर शत्रुता, घॄणा या दुर्भावना की भावनाएं पैदा करने के इरादे से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करने वाले अपराधों के लिए एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे पांच सालों तक बढ़ाया जा सकता है के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का भी प्रावधान है।
अपराध |
सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने या सैन्य-विद्रोह करने के आशय से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करना। |
विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावनाएं पैदा करने के इरादे से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करना। |
शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावनाएं पैदा करने के इरादे से पूजा के स्थान आदि में असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करना। |
दंड |
3 साल का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
3 साल का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
5 साल का कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
असंज्ञेय/गैर-संज्ञेय |
संज्ञेय |
संज्ञेय |
जमानत |
गैर-जमानती |
गैर-जमानती |
गैर-जमानती |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 505 के अंतर्गत किया गया सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने या सैन्य-विद्रोह करने के आशय से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करने का अपराध एक गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध है। जबकि विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या दुर्भावना की भावनाएं पैदा करने के इरादे से असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करना और शत्रुता, घॄणा या दुर्भावना की भावनाएं पैदा करने के इरादे से पूजा के स्थान आदि में असत्य कथन, जनश्रुति, आदि परिचालित करना जैसे दोनों अपराधों को संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में शामिल किया जाता है। साथ ही इस धारा के अंतर्गत दर्ज हुए सभी मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किये जा सकते है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 505 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध के मामले गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 505 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ सकता है।
आईपीसी 295ए का अनावरण: कानूनी क्षेत्र नेविगेट करेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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