भारतीय दंड संहिता (IPC) में गृह अत्याचार के मामलों को सुनिश्चित करने के लिए कई धाराएँ हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण धारा है, धारा 448 यह धारा गृह अत्याचार के खिलाफ कदम उठाने का प्रावधान करती है। यह धारा सुनिश्चित करती है कि गृहस्थी के भीतर सुख-शांति बनी रहे और साथ ही शारीरिक या मानसिक अत्याचार से मुक्ति मिले। गृह अत्याचार एक समाज में सामाजिक और मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक गंभीर मुद्दा है। लोगों को इसके बार में जानना चाहिए ताकि वह ऐसे अपराधों से बच सके।
भारतीय दंड संहिता की धारा 448 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का गॄह अतिचार करेगा, तो वह भारतीय कानून के अनुसार दोषी माना जाएगा। यह अत्याचार शारीरिक या मानसिक किसी भी प्रकार का हो सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 448 के अंतर्गत, किसी भी प्रकार के गॄह अतिचार के अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।
अपराध |
गॄह अतिचार |
दंड |
1 वर्ष का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 448 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 448 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में पीड़ित व्यक्ति यानि जिस पर अतिचार हुआ हो की सहमति से समझौता किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 448 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 448 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
आईपीसी 436 का खुलासा: जानने के लिए क्लिक करेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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