यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे स्थान को अग्नि या विस्फोटक पदार्थ से नष्ट करता है या फिर ऐसा करने का प्रयास करता है, जहां कोई निवास करता हो या वह सम्पत्ति मानव-विकास के रूप में या संपत्ति की अभिरक्षा के स्थान के रूप में उपयोग की जाती हो, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 436 के अंतर्गत ऐसे कार्य को एक गंभीर अपराध माना गया है। धारा 436 में किसी व्यक्ति का घर, दुकान, खुदरा या अन्य स्थानों को नष्ट करना शामिल है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 436 के अंतर्गत, गंभीर आरोप लगाने का डर दिखाकर किसी व्यक्ति से उसकी सम्पत्ति, धन या कोई भी वस्तु जबरदस्ती छीनने जैसे अपराधों के लिए भी भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कठिन कारावास की सजा जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और इसके साथ ही आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का भी प्रावधान है।
अपराध |
घर आदि को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करना |
दंड |
आजीवन कारावास या 10 साल के कठोर कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 436 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 436 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों में सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है। इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार का समझौता भी नहीं किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 436 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 436 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
---|---|---|---|---|
Offence | |
---|---|
Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |