भारतीय दंड संहिता (IPC) में, देश की सुरक्षा और आम जनता की सुरक्षा के लिए कई धाराएं शामिल हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण धारा 435 आईपीसी है, जो आग या विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करने पर लगाए जाने वाले दंड की व्याख्या करती है। इस धारा के तहत, कृषि उपज व सम्पत्ति के मामले में अधिक नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करने पर सजा का प्रावधान किया गया है। कृषि उपज के मामले में एक बड़ी राशि के नुकसान का इरादा रखना और उसे आग या विस्फोटक पदार्थ से पहुंचाने का प्रयास करना एक गंभीर अपराध है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद और विस्फोटक उपयोग की रोकथाम करना है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 435 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी की सम्पत्ति को 100 रुपये या फिर उससे अधिक का नुकसान पहुंचाए या कॄषि उपज में किसी व्यक्ति को दस रुपए या उससे अधिक का नुकसान पहुँचाता है या फिर यह जानते हुए भी कि उसके द्वारा इस्तेमाल किया गया विस्फोटक पदार्थ किसी को इस प्रकार का नुकसान पहुंचा सकता है फिर भी वह जानबूझकर इसका इस्तेमाल करे तो वह भारतीय कानून के अंतर्गत दोषी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 435 के अंतर्गत, 100 रुपये या उससे अधिक या कृषि उपज के मामले में 10 रुपये या उससे अधिक नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करना जैसे अपराधों के लिए भी भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कठिन कारावास की सजा जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और इसके साथ ही आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का भी प्रावधान है।
अपराध |
100 रुपये या उससे अधिक या कृषि उपज के मामले में 10 रुपये या उससे अधिक नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करना |
दंड |
7 साल के कठोर कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (मध्यप्रदेश के राज्य संशोधन के अधीन सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय) |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 435 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 435 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों में प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है, लेकिन मध्यप्रदेश के राज्य संशोधन के बाद धारा 435 के अधीन किए गए अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होगें। इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार का समझौता भी नहीं किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 435 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 435 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
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