आईपीसी (IPC) की धारा 482 एक महत्वपूर्ण कानूनी धारा है जो झूठे या गलत सम्पत्ति चिह्न या सम्पत्ति मुहर का उपयोग करने से सम्बन्धित है। यह धारा उन लोगों के खिलाफ लागू की जा सकती है जो दूसरों की सम्पत्ति का अवैध रूप से दावा करते हैं या जो बिना अनुमति के किसी के सम्पत्ति मुहर का उपयोग करते हैं।
यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य को लिए गलत सम्पत्ति मुहर का उपयोग करता है और वह यह साबित नहीं कर पाए कि उसने ऐसा काम किसी प्रकार का कपट करने के उद्देश्य से नहीं किया तो उस व्यक्ति को भी भारतीय कानून द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 482 के अनुसार अपराधी घोषित किया जाएगा।
सरल शब्दों में कहा जाए तो इस धारा के अनुसार, जब कोई व्यक्ति बिना अनुमति के किसी अन्य व्यक्ति की सम्पत्ति का मुहर बनाता है या उसे नकल करके उपयोग करता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है। मिथ्या सम्पत्ति चिह्न का उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है, जैसे कि नकली दस्तावेजों का बनावट करना, नकली हस्ताक्षर करना, या धन संग्रहित करने के लिए गलत तरीके से अनुमति प्राप्त करना।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 482 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी गलत उद्देश्य से गलत सम्पत्ति मुहर का इस्तेमाल करना एक गंभीर अपराध है, तो इस प्रकार के अपराध के लिए भी सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कारावास से जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों सजाओं का प्रावधान है।
अपराध |
कपट करने के उद्देश्य से मिथ्या सम्पत्ति चिह्न/सम्पत्ति मुहर को उपयोग करना |
दंड |
1 साल का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 482 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध है, यानि न्यायालय के आदेश या अनुमति के बिना दोषी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार के मामले में बिना न्यायालय की अनुमति के पुलिस छान-बीन भी नहीं कर सकती है। धारा 482 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले में किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है। इस प्रकार के अपराधों में पीड़ित व्यक्ति, जिसे ऐसे कार्य से क्षति या चोट पहुँची है की सहमति से समझौता भी किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 482 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 482 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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