भारतीय दंड संहिता (IPC) में विभिन्न प्रकार के अपराधों सजाओं का प्रावधान करने के लिए कई धाराओं का निर्माण किया गया है। इसके अंतर्गत, कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार और चोरी जैसे अपराधों के बारे में जागरूक करने के लिए धारा 451 विशेष महत्वपूर्ण है। यह दोनों ही गंभीर अपराध है और समाज और लोगों के लिए व्यक्तिगत रूप से भी हानिकारक हैं और इनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जानी चाहिए। धारा 451 इस मामले में न्याय के सुनिश्चित करने में मदद करती है और इस तरह के अपराधों में कमी करने में मदद करती है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की धारा 451 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्तिकारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए गॄह-अतिचार करता है या फिर चोरी का अपराध करता है, तो वह व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार दोषी माना जाएगा। यहाँ गृह अतिचार से आशय मनुष्य के निवास में प्रयोग आने वाले स्थान पर किए जाने वाले आपराधिक अतिचार से है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 451 के अंतर्गत किए गए कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार और चोरी के अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार करने के अपराधों के लिए 2 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना तथा चोरी के अपराध में 7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का प्रावधान है।
अपराध |
कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार |
चोरी के अपराध में |
दंड |
2 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना |
7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य) |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य) |
जमानत |
जमानतीय |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 451 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 451 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में पीड़ित व्यक्ति यानि जिस पर अतिचार हुआ हो की सहमति से समझौता किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 451 के अंतर्गत किए गए कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार करता है, तो ऐसे अपराध को जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाता हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 451 में इस तरह के मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है। वहीं दूसरा अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) श्रेणी का होता है, यदि कोई व्यक्ति धारा 451 के मामले में चोरी के अपराध में दोषी पाया जाता है, तो वह वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
आईपीसी 458 कानून के बारे में जानें: जानकारी प्राप्त करेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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