413 IPC in Hindi | धारा 413 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

धारा 413 IPC in Hindi

धारा 413 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की धारा 413 आईपीसी एक महत्वपूर्ण कदम है जो चोरी की संपत्ति में काम करने वालों के खिलाफ होने वाले अपराधों को नियंत्रित करती है। यह धारा बताती है कि केवल चोरी करना ही अपराध नहीं बल्कि चोरी की गई सम्पत्ति से साथ किसी भी प्रकार का व्यापार करना भी एक गंभीर अपराध है।

इस धारा का उद्देश्य समाज में सुरक्षा और न्याय को बनाए रखना है, ताकि लोग अपनी संपत्ति को सुरक्षित महसूस कर सकें। यह धारा उन लोगों के खिलाफ है जो अनैतिक रूप से चोरी के प्रयासों में शामिल होते हैं और दूसरों की मेहनत की कमाई पर अनैतिक तरीके से हक जमा करने का प्रयास करते हैं।

धारा 413 क्या है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की धारा 413 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति यह जानकारी रखते हुए भी के वह जिस संपत्ति पर या जिस सम्पत्ति के द्वारा व्यापार कर रहा है, वह चुराई हुई है, व्यापार करता है तो ऐसे व्यक्ति को भी भारतीय कानून में अपराधी माना जाएगा।

धारा 413 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 413 के अंतर्गत, यदि कोई जानबूझकर भी इस तरह की चोरी की गई सम्पत्ति में व्यवसाय करता है, तो ऐसे अपराधों के लिए भी भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और इसके साथ ही आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का भी प्रावधान है।

अपराध

जानबूझकर चोरी की संपत्ति में काम करना

दंड

आजीवन कारावास या 10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य
नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय

धारा 413 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 413 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 413 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र न्यायालय के समक्ष किया जाता है। इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार का समझौता भी नहीं किया जाता है।

धारा 413 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 413 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 413 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं पाएगा।

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