397 IPC in Hindi | धारा 397 क्या है?

397 IPC in Hindi

397 IPC in Hindi

भारतीय कानूनी तंत्र में, आपराधिक कार्रवाई की प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिए भारतीय दण्ड संहिता 1860 द्वारा संचालित किया जाता है। इसमें से एक धारा 143 आईपीसी है, जो मृत्यु या घोर आघात करने, लूट या डकैती करने जैसे अपराधों के बारे में प्रावधान किया गया है।

धारा 397 क्या है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 397 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति लूट या डकैती करते समय किसी व्यक्ति की मृत्यु करने की कोशिश करता है या उसे घोर आघात पहुँचाता है, तो ऐसे अपराधी के लिए भारतीय कानून में गंभीर सजा है।

धारा 397 के बारे में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पीड़ित के मन में डर या आशंका पैदा करने के लिए अपराधी द्वारा खुले तौर पर हथियार लहराना या दिखाना ही आईपीसी की धारा 397 के तहत अपराध का गठन करने के लिए पर्याप्त है।

दरअसल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट धारा 397 के अंतर्गत मध्य प्रदेश डकैती और व्यापार प्रभाव क्षेत्र अधिनियम 1981 ("अधिनियम") की धारा 11/13 के तहत दर्ज हुए मामले पर ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषसिद्धि को बरकरार रखने के आदेश की अपील पर विचार कर रही थी। इस दौरान IPC की धारा 397 और मध्य प्रदेश डकैती और व्यापार प्रभाव क्षेत्र अधिनियम 1981 की धारा 11/13 के तहत दोषसिद्धि को खारिज करते हुए अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया गया था।

इस मामले में न्यायालय की स्थिति से यह स्पष्ट होता है कि IPC की धारा 397 के तहत अपराध का गठन करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि हथियार का उपयोग किया जाए। केवल उस हथियार को खुलेआम लहरा कर या पकड़कर डराना और इस तरह किसी भी व्यक्ति के मन में भय पैदा करने वाला व्यक्ति भी धारा 397 आईपीसी के तहत आरोपी घोषित किया जाएगा। उदाहरण के लिए जरूरी नहीं की आरोपी गोली चलाये या खंजर अथवा छुरा घोंपे। यदि कोई बन्दुक या छुरे को खुलेआम लहराता है, तो भी उस पर धारा 397 का मामला दर्ज किया जा सकता है।

धारा 397 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 397 के अंतर्गत, मृत्यु या जानलेवा आघात करके लूट या डकैती करना एक गंभीर अपराध है। इस तरह के अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए कम से कम 7 साल के कठोर कारावास की सजा और इसके साथ ही आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का प्रावधान है।

अपराध

मॄत्यु या घोर आघात कर लूट या डकैती करना

दंड

कम से कम 7 साल के कठोर कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय

धारा 397 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 397 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 397 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होते है। इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार का समझौता भी नहीं किया जा सकता है। 

धारा 397 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 397 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 397 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं सकता है।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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