भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 के अंतर्गत धारा 395 में डकैती से सम्बन्धित मामलों के बारे में उल्लेख किया गया है। इसके अंतर्गत डकैती को एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है और इसके लिए कठोर सजा के प्रावधान किए गए हैं। यह कानून ब्रिटिश सरकार द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के तहत डकैती पर रोक लगाने के लिए शुरू किया गया था। इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने डकैती के अपराध की रोकथाम अधिनियम, 1843 बनाया था, हालाँकि स्वतंत्र भारत के सविधान में इस अधिनियम में संशोधन किया गया और इसे भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 के अंतर्गत शामिल किया गया।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 395 के अनुसार, "यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की डकैती करता है या ऐसा करने का प्रयत्न करता है, तो वह अपराधी माना जाएगा। केवल मुख्य अपराधी ही नहीं, बल्कि कोई अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह जो भी इस तरह के अपराध में मुख्य अपराधी का साथ देता है, तो वह व्यक्ति भी इस धारा के अनुसार अपराधी घोषित किया जाएगा।
यहाँ डकैती से आशय पांच या पांच से अधिक व्यक्तियों के समूह से है, जो अपने समूह के साथ बल, धमकी या हिंसा का उपयोग करके किसी अन्य व्यक्ति से जबरन संपत्ति छीनने का कार्य करते हैं।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 395 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति डकैती के जुर्म में अपराधी पाया जाता है, तो उस अपराधी को दंड के रूप में आजीवन कारावास या दस वर्ष के कठिन कारावास की सजा के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का प्रावधान है। अपराधी को आजीवन कारावास होगा या दस वर्ष के कठिन कारावास के साथ आर्थिक दंड की सजा यह अपराधी द्वारा किए गए अपराध की गम्भीरता और विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर करती है। इस तरह के मामलों में मुख्य अपराधी को और इस जुर्म में उसका साथ देने वाले व्यक्ति दोनों को ही कठोर सजा दी जाती है।
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अपराध |
डकैती करना या डकैती करने का प्रयास करना |
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दंड |
आजीवन कारावास या 10 वर्ष का कठोर कारावास और जुर्माना |
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अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
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जमानत |
गैर-जमानती |
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विचारणीय |
सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 395 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि कोई भी व्यक्ति जिसे अपराध के बारे में पता चलता है, वह पुलिस को अपराध के बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के अपराध केवल सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होते हैं। साथ ही इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार के समझौते की कोई गुंजाईश नहीं होती है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 395 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 395 के अधीन अपराधी माना जाता है, तो गिरफ्तार किए जाने पर अपराधी को जमानत नहीं मिलेगी।
| Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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| Offence | |
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| Punishment | |
| Cognizance | |
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| Triable By | |