धारा 394 आईपीसी एक महत्वपूर्ण धारा है जो भारतीय दण्ड संहिता में शामिल है। यह धारा व्यक्ति की सुरक्षा और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित करती है। यह अपराध गंभीर होता है और इसमें दोषी को कठिन सजा की सम्भावना होती है। इस धारा का पालन करना महत्त्वपूर्ण है ताकि समाज में फैले लूट के भय और डर को कम किया जा सके। लोगों में आत्म-विश्वास और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा मिलता है जो एक स्वस्थ समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 394 के अनुसार, "यदि कोई व्यक्ति किसी को लूटने में या लूट का प्रयत्न करने के दौरान अपनी जानबूझकर किसी व्यक्ति को चोट पहुँचाता है, तो वह अपराधी माना जाएगा। केवल मुख्य अपराधी ही नहीं, बल्कि कोई अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह जो भी इस तरह के अपराध में मुख्य अपराधी का साथ देता है, तो वह व्यक्ति भी इस धारा के अनुसार अपराधी घोषित किया जाएगा।
यहाँ लूट से आशय, किसी व्यक्ति से उसकी संपत्ति या धन को हिंसक तरीके से हड़पने से है। जिसकी वजह से पीड़ित को शारीरिक, मानसिक या आर्थिक रूप से किसी भी प्रकार का खतरा हो, उसे चोट पहुंची हो या फिर उसके मान-सम्मान को किसी प्रकार की चोट पहुँचाता हो।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 394 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति अपराधी पाया जाता है, तो उस अपराधी को दंड के रूप में आजीवन कारावास या दस वर्ष के कठिन कारावास की सजा के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का प्रावधान है। अपराधी को आजीवन कारावास होगा या दस वर्ष के कठिन कारावास के साथ आर्थिक दंड की सजा यह अपराधी द्वारा किए गए अपराध की गम्भीरता और विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर करती है। इस तरह के मामलों में मुख्य अपराधी को और इस जुर्म में उसका साथ देने वाले व्यक्ति दोनों को ही कठोर सजा दी जाती है।
अपराध |
लूट करने, या लूट का प्रयत्न करने की कोशिश में अपनी इच्छा से किसी को चोट पहुँचाना |
दंड |
आजीवन कारावास या 10 वर्ष का कठोर कारावास और जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानती |
विचारणीय |
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 394 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के अपराध केवल प्रथम श्रेणी वाले मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते हैं। साथ ही इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार के समझौते की कोई गुंजाईश नहीं होती है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 394 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 394 के अधीन अपराधी माना जाता है, तो गिरफ्तार किए जाने पर अपराधी को जमानत नहीं मिलेगी।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
---|---|---|---|---|
Offence | |
---|---|
Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |