भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 में स्त्री की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई धाराएँ हैं, इनमें से एक महत्वपूर्ण धारा है, धारा 366a यह धारा स्त्री से जबरदस्ती करने के मामलों में प्रावधान करती है। इसमें अगर कोई बलात्कारी या अनैतिक रूप से विवाह के लिए स्त्री को विवश करता है, तो इससे समाज में भयंकर परिणाम हो सकते हैं। यह धारा समाज में विवाह के माध्यम से स्त्री के सम्मान और इज्जत की रक्षा करती है। इस धारा का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सजा हो सकती है, जो समाज में इस प्रकार की अनैतिकता को बढ़ावा देता है। हमें इस धारा के महत्व को समझकर उसका सही रूप से प्रयोग करना चाहिए ताकि समाज में स्त्री को सम्मान और इज्जत मिल सके।
यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करता है या उससे अवैध सम्बन्ध बनाने के लिए विवश करता है या ऐसे किसी इरादे से उसका अपहरण करेगा, तो ऐसा करने वाला व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 366a के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 366a के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 366a के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना भी सम्भव नहीं होता है।
अपराध |
किसी स्त्री को विवाह के लिए विवश करना, उसे अपवित्र करने का कारण बनने के लिए अपहरण या उत्प्रेरित करना |
दंड |
10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 366a के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 366a के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 366a के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 366a के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
आपका कानूनी साथी: भारत में आईपीसी 364ए को समझनाOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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