IPC की धारा 304 में व्यक्तिगत चोट या मृत्यु के मामलों को शामिल किया जाता है। इसमें मृत्यु करने के इरादे से सम्बन्धित या गैर इरादतन हत्या से सम्बन्धित मामलों के सम्बन्ध में सजा के प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
IPC की धारा 304 के अंतर्गत किसी व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या करना या कोई ऐसा कार्य करना जो किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन जाए या फिर किसी की मृत्यु करने के इरादे से किया गया कार्य करना अथवा चोट पहुंचाना सम्बन्धी अपराधों के बारे में प्रावधान उल्लेखित है।
यदि कोई व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अंतर्गत अपराधी पाया जाता है, तो भारतीय कानून में उसके लिए सजाओं का प्रावधान निम्नलिखित है।
गैर इरादतन हत्या (जो हत्या की श्रेणी मे नही आता) करने के इरादे से किया गया कोई कार्य या हमला जो किसी की मौत का कारण बन जाए इस प्रकार के अपराध के लिए धारा 304 में उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जो की में 10 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, के साथ आर्थिक सजा के रूप में जुर्माने का प्रावधान है।
यदि कोई कार्य या हमला किसी व्यक्ति की मृत्यु करने के उद्देश्य से किया गया हो, तो इसके लिए धारा 304 में आजीवन कारावास या 10 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक सजा के रूप में जुर्माने का प्रावधान है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में धारा 201 के अंतर्गत किए गए सभी प्रकार के अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं और इस प्रकार के अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होते हैं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय अपराध की श्रेणी में आते है, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 304 के अधीन अपराधी माना जाता है, तो गिरफ्तार किए जाने पर अपराधी को जमानत नहीं मिल पाएगी।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
---|---|---|---|---|
Offence | |
---|---|
Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |