भारतीय दंड संहिता (IPC) में 295a धारा एक ऐसी कानूनी धारा है जो धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा के लिए बनाई गई है। यह धारा उन व्यक्तियों के खिलाफ होती है जो जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य धार्मिक समृद्धि और सहयोग को बनाए रखना है ताकि समाज में एकता और समरसता बनी रहे। यह धारा सामाजिक समरसता और धार्मिक सहयोग को बढ़ावा देती है और लोगों को अपने धार्मिक मतों और विचारों को साझा करने में स्वतंत्रता प्रदान करती है, ताकि सभी धर्मों और समुदायों के लोग शांति और एकता से अपना जीवन व्यतीत कर सकें।
भारतीय दंड संहिता की धारा 295a के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण मौखिक रूप से, या लिखित रूप में, संकेत द्वारा या दृश्य अभिव्यक्तियों द्वारा कोई भी ऐसा कार्य करता है, तो वह भारतीय कानून के अनुसार दोषी माना जाएगा। यह अत्याचार शारीरिक या मानसिक किसी भी प्रकार का हो सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295a के अंतर्गत, किये जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।
अपराध |
जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य द्वारा धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना |
दंड |
तीन साल तक का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295a के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 295a के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295a के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 295a के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
कानूनी बारीकियों को उजागर करें: आईपीसी 378 को अभी अनलॉक करेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
---|---|---|---|---|
Offence | |
---|---|
Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |