धारा 279 क्या है? | 279 IPC in Hindi

धारा 279 क्या है?

धारा 279 क्या है?

आए दिन वाहन चलाने वालों की लापरवाही के कारण सार्वजनिक रास्तों पर कई हादसे हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, कई लोगों की मृत्यु हो जाती है तो कई गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। इस समस्या को समाधान करने के लिए भारतीय कानून में धारा 279 आईपीसी शामिल है, जो सार्वजनिक रास्तों पर लापरवाही से वाहन चलाने पर लगाए जाने वाले दंड की व्यवस्था करती है।

धारा 279 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक मार्ग पर गलत तरीके से वाहन चलाता है अथवा जल्दबाजी या लापरवाही से वाहन चलाता है, जिससे कोई मानव जीवन संकट में जाए अथवा किसी व्यक्ति को चोट पहुंचे तो इस तरह के मामले में वाहन चलाने वाले व्यक्ति को अपराधी माना जाता है।

हालाँकि ऐसे मामले में किसी व्यक्ति को नहीं बल्कि किसी जानवर को चोट पहुँचती है तो उस स्थिति में यह धारा नहीं लगाई जा सकती है। लेकिन अगर जानबूझकर किसी जानवर को मारा जाए तो उस पर कोर्ट अलग तरह से कार्रवाई कर सकता है। इसे हम एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं।

बेंगलुरु के हाईकोर्ट में एक ऐसा ही केस सामने आया था, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी भी पालतू जानवर की कार से टक्कर होने पर वाहन चालक पर IPC सेक्शन 279 के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है। इस स्तिथि में पर रैश ड्राइविंग का केस नहीं बनता है। न्यायालय का कहना है कि यह धारा केवल उस स्थिति में लगाई जा सकती है, जब किसी इंसान का एक्सीडेंट हुआ हो।

धारा 279 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 279 के अंतर्गत, गलत तरीके और बेपरवाही से वाहन चलाने के अपराध में भी भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए छह महीने का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए का जुर्माना या दोनों सजाओं का प्रावधान है।

अपराध

सार्वजनिक रास्ते पर लापरवाही से वाहन चलाना, जिससे मानव जीवन संकट में जाए

दंड

छह महीने का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए का जुर्माना या दोनों

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 279 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 279 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 279 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले में किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है। इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार का समझौता भी नहीं किया जाता है।

धारा 279 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 279 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 279 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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