भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 415 भारतीय कानून प्रणाली में "धोखे" को परिभाषित करती है। यह धारा उन सभी स्थितियों को स्पष्ट करती है, जिन मामलों को धोखे के अंतर्गत शामिल किया जाता है। धोखा देना एक गंभीर अपराध है, जो कि समाज में अविश्वास को जन्म देता है। इस तरह के अपराधों से बचने के लिए यह जानना आवश्यक है कि किन-किन परिस्थितियों को धोखे के मामलों में शामिल किया जाता है। हालांकि इस धारा में धोखा देने वाले अपराधी की सजा के बारे में किसी प्रकार का कोई उल्लेख देखने को नही मिलता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 415 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को बेईमानी से या धोखा देकर, उस व्यक्ति को किसी भी संपत्ति को किसी भी अन्य व्यक्ति को देने के लिए प्रेरित करता हो, या फिर सहमति देने के लिए कि कोई भी व्यक्ति किसी भी संपत्ति को बनाए रखेगा, या जानबूझकर इस तरह से धोखा खाए गए व्यक्ति को कुछ भी करने या करने के लिए प्रेरित करेगा, जो कि वह नहीं करता है यदि उसे धोखा न दिया गया हो तो वह ऐसा नहीं करेगा या नहीं करेगा, और जो कार्य या चूक उस व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, प्रतिष्ठा संबंधित किसी प्रकार की क्षति पहुंचे या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचे है या फिर ऐसा होने की संभावना है, तो भारतीय कानून प्रणाली में उसे "धोखा" कहा जाता है।
स्पष्टीकरण - किसी भी प्रकार के तथ्यों का बेईमानी से छिपाना इस धारा के अर्थ के अंतर्गत प्रवंचना है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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