97 IPC in Hindi | धारा 97 क्या है?

97 IPC in Hindi

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97 IPC in Hindi

भारतीय कानूनी व्यवस्था एक व्यापक रूप से संरचित है जो समाज की सुरक्षा और न्याय की रक्षा करने का कारण है। भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की धारा 97 कानूनी व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें व्यक्तियों को उनकी निजी संपत्ति और शरीर की रक्षा के लिए कुछ अधिकार प्रदान किए गए हैं।

97 आईपीसी का प्रमुख उद्देश्य व्यक्तियों को उनकी निजी संपत्ति और शरीर की सुरक्षा के लिए स्वतंत्रता और स्वाधीनता प्रदान करना है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उसकी संपत्ति या शरीर की सुरक्षा को हमला करता है, तो उसे अपने आत्मरक्षा के लिए उचित और उच्चतम स्तर की बचाव की अनुमति है।

इस धारा को समझना और इसका सही से उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोगों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करना चाहिए ताकि समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें और एक सुरक्षित वातावरण बना रहे।

धारा 97 क्या है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 97 व्यक्ति को शरीर तथा संपत्ति की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार प्रदान करती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 97 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति पर कोई हमला हो रहा है, तो ऐसी स्तिथि में पीड़ित को अपनी रक्षा के लिए कानून का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है, उस समय उसे अपनी मदद स्वयं करनी होगी। भारतीय दंड संहिता की धारा 97 के अनुसार, हर व्यक्ति को अधिकार है कि, वह

  1. अपने और किसी अन्य व्यक्ति के शरीर पर होने वाले अपराध के विरुद्ध अपनी और अन्य व्यक्ति की भी रक्षा करे।
  2. चोरी, लूट और अन्य प्रकार के आपराधिक अतिचार के अंतर्गत आने वाले अपराधों में भी अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की चल-अचल संपत्ति की रक्षा करे।

धारा 97 के तहत अगर कोई व्यक्ति स्वयं को या किसी अन्य व्यक्ति को उसकी निजी संपत्ति से बचाने के लिए अपने शरीर का सही से प्रतिरक्षा करता है, तो उसे कोई दोषी ठहराया नहीं जाएगा।" यह अधिकार व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देता है कि वह अपनी निजी संपत्ति की रक्षा के लिए सभी उपायों का सही से इस्तेमाल कर सकते हैं।

धारा 97 के तहत अपराध के लिए सजा का निर्धारण निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है:

  1. हमला करने वाले व्यक्ति की मंशा: यदि हमला करने वाले व्यक्ति की मंशा गंभीर थी, तो सजा अधिक होगी।
  2. हमले की गंभीरता: यदि हमले की गंभीरता अधिक थी, तो सजा अधिक होगी।
  3. हमले में लगे बल की मात्रा: यदि हमले में लगे बल की मात्रा अधिक थी, तो सजा अधिक होगी।

धारा 97 के तहत अपराध के लिए सजा का प्रावधान निम्नलिखित है:

  1. जो कोई इस धारा के उपबंधों के उल्लंघन में किसी व्यक्ति के शरीर पर बल का प्रयोग करेगा, वह दोनों में से किसी एक भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
  2. जो कोई इस धारा के उपबंधों के उल्लंघन में किसी व्यक्ति की संपत्ति पर बल का प्रयोग करेगा, वह दोनों में से किसी एक भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।

इस प्रकार, धारा 97 की अपराध श्रेणी एक साधारण अपराध है।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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