751 IPC in Hindi | धारा 751 क्या है?

751 IPC in Hindi

751 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 751 अपने आप में कोई धारा नहीं है, दरअसल यह धारा 107 सीआरपीसी और 151 सीआरपीसी दोनों धाराओं से मिलकर बनी है, इसलिए इस धारा को 751 या 7/51 के नाम से भी जाना जाता है। यह धारा समाज में शांति भंग होने की सम्भवना होने पर अथवा किसी अन्य प्रकार के अपराध होने कि संभावना होने पर लागु की जा सकती है। यह धारा ज्यादातर लोकल इलाको में लागु की जाती है। जहाँ लोगों में आपस लड़ाई-झगड़ा या जमीन जायदाद के लिए छोटे-छोटे झगड़े होने पर धक्का मुखी हो जाती है और गाली गलौज हो जाता है। यह धारा सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

धारा 751 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 751 किसी आरोपी को बिना किसी कठोर दंडात्मक कार्रवाई किए किसी भी प्रकार का अपराध अथवा गैरकानूनी प्रक्रिया करने से रोकती है और सावधान करती है।

धारा 751 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 751 के अंतर्गत किसी भी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं किया गया है। इस धारा में हरासमेंट ही अपराधी की सजा होती है क्योंकि इस तरह के मामलों वाले केस में 1 साल तक तारीख है और दोषी को एक साल तक पेशी हर महीने आपको हाजिरी लगवाने जाना पड़ता है। इस तरह के मामलों में कोई जुर्माना भी नहीं है।

अपराध

शांति भंग करना या किसी प्रकार का अपराध करने की सम्भावना होने पर

अपराध श्रेणी

संज्ञेय

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष

धारा 751 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 751 यानि 7/51 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 751 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। यदि पुलिस को किसी व्यक्ति पर शक भी हो कि वह व्यक्ति कोई गंभीर अपराध कर सकता है, तो पुलिस शक के आधार पर भी उस व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर सकती है।

धारा 751 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 751 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 751 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है। इस धारा 751 के तहत, एक SHO को जमानत बांड स्वीकार करने के बाद आरोपी को जमानत पर रिहा करने का अधिकार है। उसे जमानत न देना भी थाना प्रभारी की मर्जी है।

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