भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 498a किए गए अपराध विवाहित महिला पर क्रूरता करने या उसके किसी रिश्तेदार से कोई गैर-कानूनी मांग करने जैसे गंभीर अपराधों के प्रति संज्ञान लेती है। यह धारा विवाहित जीवन में होने वाली किसी भी रूप में हिंसा या उत्पीड़न को रोकने के लिए बनाई गई है। इसका मुख्य उद्देश्य है महिलाओं को बेहतर सुरक्षा प्रदान करना और उन्हें अपने अधिकारों की सच्चाई से अवगत कराना है। हालाँकि ऐसे मामलों में, न्यायिक प्रक्रिया में सतर्कता बरतनी बेहद आवश्यक है ताकि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान न हो।
भारतीय दंड संहिता की धारा 498a के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी विवाहित महिला का पति या पति का रिश्तेदार होते हुए, उस महिला पर क्रूरता करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।
स्पष्टीकरण - इस धारा में क्रूरता के लिए निम्नलिखित प्रयोजन किए गए हैं।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498a के अंतर्गत, विवाहित महिला पर क्रूरता करने के लिए या उसके किसी रिश्तेदार से कोई गैर-कानूनी मांग करने के लिए किए गए अपराधों हेतु दण्ड के रूप में तीन वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
विवाहित महिला पर क्रूरता करना। |
विवाहित महिला के माता-पिता, भाई-वहन या अन्य रिश्तेदार से किसी संपत्ति या कीमती वस्तु की गेर-कानूनी माँग करना। |
दण्ड |
3 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
3 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498a के अंतर्गत, एक विवाहित महिला के अधीन क्रूरता के सभी मामले गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू नहीं की जा सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 498a के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498a के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 145 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |