468 IPC in Hindi | धारा 468 क्या है? | धारा 468 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

धारा 468 क्या है?

धारा 468 क्या है?

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 के अंतर्गत धारा 468 के अंतर्गत जालसाजी करना एक गंभीर अपराध माना जाता है। ठगी और जालसाजी करना एक समाज के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। यह केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक स्तर पर भी नुकसान पहुंचाता है, इसलिए इस प्रकार के अपराध को रोकने के लिए लोगो को इस धारा के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।

धारा 468 क्या है?

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 के अंतर्गत धारा 468 के अंतर्गत ठगी के मकसद से जालसाजी करना एक गंभीर अपराध माना जाता है। किसी व्यक्ति को धोखा देकर उनसे धन, संपत्ति या किसी अन्य आवश्यक वस्तु को प्राप्त करने की कोशिश करना, ठगी कहलाता है, जबकि किसी वास्तविक दस्तावेज में किसी अनैतिक कार्य के मकसद से कोई परिवर्तन करना या कोई फेरबदल करना, जालसाजी कहलाता है।

इस तरह किसी व्यक्ति से धन, संपत्ति या किसी अन्य वस्तु की ठगी करने के इरादे से किसी वास्तविक दस्तावेज या डिजिटल रिकॉर्ड में हस्ताक्षर, मुहर या डाटा किसी में भी फेरबदल करना, धारा 468 के अंतर्गत शामिल किया जाता है। यहाँ ठगी से मतलब केवल धन नहीं है, बल्कि किसी भी प्रकार की अन्य आवश्यक वस्तु जैसे संपत्ति, स्वतंत्रता, या सम्मान भी है।

धारा 468 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 468 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति ठगी के मकसद से जालसाजी करने जैसे अपराधों के मामलों में दोषी पाया जाता है, तो अपराधी को 7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना का भी प्रावधान है।

अपराध

ठगी के मकसद से जालसाजी करना

दंड

7 साल के कारावास के साथ जुर्माना

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 468 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 468 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि कोई भी व्यक्ति जिसे इस अपराध के बारे में पता चलता है, वह पुलिस को अपराध के बारे में सूचित कर सकता है। धारा 447 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले में प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है, जबकि मध्यप्रदेश के राज्य संशोधन के अंतर्गत इस अपराध से जुड़े मामलों पर सत्र न्यायालय द्वारा विचार किया जाता है। 

धारा 468 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 468 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 468 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो अपराधी को तुरंत जमानत नहीं मिलेगी। इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार का समझौता भी नहीं किया जाता है।

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