भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 459 एक अहम क़ानूनी प्रावधान है जो गुप्त गृह-भेदन या गृह-अतिचार के दौरान गंभीर चोट का कारण बनने के बारे में संज्ञान लेती है। इसका उद्देश्य व्यक्ति की गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा करना है। धारा में उन व्यक्तियों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है, जो गृह-अतिचार के दौरान दूसरों को जख्मी करते हैं। गृह-अतिचार या गृह-भेदन दोनों ही गंभीर अपराध है जो समाज में सुरक्षा के खिलाफ है। इस तरह के अपराधों से बचने के लिए इस धारा के बारे में जानना महत्वपूर्ण है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 459 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति प्रच्छन्न गॄह-भेदन या गॄह-अतिचार करते समय किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाता है या पहुंचाने का प्रयत्न करेता है, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून में अपराधी माना जाता है।
यहाँ गृह भेदन से आशय किसी ऐसे उपगृह, भवन या निर्माण से है, जो किसी गृह के साथ-साथ अधिभोग में है, और जिस भवन के और गृह के बीच आने जाने के लिए अव्यवदित भीतरी रास्ता है। जबकि गॄह अतिचार से आशय किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति में प्रवेश करके या फिर उस पर रहकर आपराधिक अतिचार करने से है। यह संपत्ति भवन, जहाज या टेंट किसी भी रूप में हो सकती है। गृह-अतिचार में शारीरिक, आत्मिक, या भावनात्मक किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाई जा सकती है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 459 के अंतर्गत, गुप्त घर-अतिचार या घर तोड़ने के दौरान गंभीर चोट का कारण बनने जैसे अपराधों के लिए आजीवन कारावास या 10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
गुप्त गॄह-भेदन या गॄह-अतिचार के दौरान गंभीर चोट का कारण बनना |
दण्ड |
आजीवन कारावास या 10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय |
जमानत |
गैर जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 459 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 459 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 459 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 459 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
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