453 IPC in Hindi | धारा 453 क्या है?

453 IPC in Hindi

453 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 453 एक महत्वपूर्ण धारा है, जो प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन से सम्बंधित मामलों के बारे में संज्ञान लेते हैं। ऐसे अपराध मानसिक, शारीरिक या आर्थिक रूप से किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन हो सकता है। गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन का मामला बहुत ही गंभीर माना जाता है और ऐसे अपराधों के तहत दोषी को कठोर सजा दी जाती है।

धारा 453 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 453 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।

धारा 453 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 453 के अंतर्गत प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करने जैसे अपराधों के लिए 2 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजाओं का प्रावधान किया गया है।

अपराध

प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना

दण्ड

2 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना

अपराध श्रेणी

संज्ञेय

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष

धारा 453 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 453 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 453 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है।

धारा 453 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 453 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 453 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।

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