भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 के अंतर्गत धारा 447 में व्यक्तिगत सुरक्षा और संपत्ति की सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है। धारा 447 वहां के लोगों को संपत्ति के लिए सुरक्षित रखने की प्रतिबद्धता करती है और व्यक्तिगत अतिचार को अपराध मानती है। इस धारा का उद्देश्य व्यक्तिगत संपत्ति की सुरक्षा करना और समाज में न्याय और समानता की भावना को बढ़ावा देना है। अनुचित रूप से अपनी संपत्ति पर हमला होने जैसे अपराधों से बचने के लिए और इन्हें कम करने के लिए लोगों को इस धारा के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 447 के अनुसार, "यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ आपराधिक अतिचार करता है या ऐसा करने का प्रयत्न करता है, तो वह भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा। यहाँ आपराधिक अतिचार से आशय किसी भी व्यक्ति, धमकाना अपमान या परेशान करने के इरादे के साथ संपत्ति कब्जे में करना या उसका ग्रहण करना या फिर अवैध रूप से किसी संपत्ति पर रहने से है।
यानि जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति पर अनधिकृत कब्जा करता है या कोई भी अनुचित तरीके से उसके संपत्ति को अपहरण करता है या संपत्ति का ग्रहण करता है अर्थात् किसी व्यक्ति की इच्छा के बिना उस व्यक्ति की संपत्ति को अपने नियंत्रण में कर लेता है, तो वह इस अपराध के अंतर्गत शामिल किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 447 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति आपराधिक अतिचार जैसे अपराधों के मामलों में अपराधी पाया जाता है, तो अपराधी को 3 महीने का कारावास और आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा कारावास के साथ पांच सौ रुपए तक का जुर्माना दोनों सजा का प्रावधान है।
अपराध |
आपराधिक अतिचार करना |
दंड |
3 महीने का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 447 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि कोई भी व्यक्ति जिसे अपराध के बारे में पता चलता है, वह पुलिस को अपराध के बारे में सूचना दे सकता है। धारा 447 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है यानि इस तरह के मामले का ट्रायल किसी भी न्यायालय में किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 447 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 447 के अधीन गिरफ्तार किया जाता है, तो अपराधी को जमानत मिल सकती है। इस प्रकार के अपराधों में पीड़ित व्यक्ति की सहमति द्वारा समझौता किया जा सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |