भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 446 एक महत्वपूर्ण धारा है जो रात्रि गॄह-भेदन को परिभाषित करती है। यह अपराध अत्यंत गंभीर होता है क्योंकि इससे व्यक्ति की निजी जानकारी और सुरक्षा को खतरा होता है। धारा 446 आईपीसी इस प्रकार के अपराध को गंभीरता से लेते हुए उन व्यक्तियों को सजा देने की विधि प्रदान करती है जो ऐसा अपराध करते हैं। हालाँकि इस धारा में इस तरह के अपराधों के लिए कोई उल्लेख देखने को नहीं मिलता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 446 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति सूर्यास्त के पश्चात् और सूर्योदय से पूर्व गॄह-भेदन करता है, वह रात्रि गॄह-भेदन कहलाता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 446 केवल रात्रि गॄह-भेदन को परिभाषित करती है। इस धारा में इस तरह के अपराधों के बारे में किसी प्रकार की सजा का उल्लेख नहीं मिलता है। हालाँकि धारा 456 रात्रि गॄह-भेदन के लिए सजा का प्रावधान करती है। धारा 456 के अंतर्गत रात्रि गॄह-भेदन करने जैसे अपराध करने पर किसी अपराधी के लिए 3 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
रात्रि गॄह-भेदन |
दण्ड |
3 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 446 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 446 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 446 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 446 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |