भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 428 जानवरों के साथ शरारत कर उन्हें मारने, विकलांग करने, या निरुपयोगी बनाने के संबंध में संज्ञान लेती है। इस धारा का उद्देश्य समाज के लोगों को जानवरों के प्रति अपनी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करना है ताकि उन्हें उचित संरक्षण मिले और वह भी सुरक्षित रहें। इस धारा के अंतर्गत जानवरों के साथ अनैतिक रूप से व्यवहार करने और उन्हें कष्ट पहुंचाने वाले लोगों के लिए सजा का भी प्रावधान किया गया है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 428 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति दस रुपए या उससे अधिक कीमत वाले के किसी जीवजन्तु को मारने, विष देने, विकलांग करने अथवा निरुपयोगी बनाने हेतु कोई कार्य करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 428 के अंतर्गत, किसी भी जीवजंतु जिसका मूल्य 10 रुपए या उससे अधिक हो, को कष्ट पहुंचाने के अपराध के लिए 10 साल का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों तरह की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
10 रुपये या उससे ज्यादा मूल्य वाले किसी भी जानवर को मारने या विकलांग करने अथवा निरुपयोगी बनाने के उद्देश्य से शरारत करना |
दण्ड |
2 साल का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 428 के अंतर्गत किये जाने वाले सभी अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 428 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 428 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 304 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |