426 IPC in Hindi | धारा 426 क्या है?

426 IPC in Hindi

426 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 426 एक महत्वपूर्ण धारा है, जो रिष्टि से सम्बंधित अपराधों के बारे में संज्ञान लेती है। यह धारा समाज में होने वाले अपमान या अन्य उत्पीड़न के मामलों में कार्रवाई करती है। धारा 426 के अंतर्गत ऐसे अपराधों को गंभीर अपराधों की श्रेणी में शामिल किया जाता है और इसका उल्लंघन हेतु कठोर दण्ड का प्रावधान किया गया है।

धारा 426 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 426 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति रिष्टि करेगा, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।

यहाँ रिष्टि से आशय ऐसे कार्य से होता है, जब किसी व्यक्ति द्वारा यह संभाव्य रूप से यह जानते हुए भी कि वह जनता को या किसी व्यक्ति को सदोष हानि या नुकसान कारित करे किसी संपत्ति का विनाश, या किसी संपत्ति में या उसकी स्थिति में ऐसी तब्दीली जाए, जिससे उसका मूल्य या उपयोगिता नष्ट या कम हो जाती है, या उस पर क्षतिकारक प्रभाव पड़ता हो।

धारा 426 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 426 के अंतर्गत रिष्टि करने जैसे अपराधों के लिए 3 महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान किया गया है।

अपराध

रिष्टि करना

दण्ड

3 महीने या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों

अपराध श्रेणी

गैर-संज्ञेय

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष

धारा 426 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 426 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 426 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष पेश किया जा सकता है।

धारा 426 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 426 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 426 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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