380 IPC in Hindi | धारा 380 क्या है?

380 IPC in Hindi

380 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की धारा 380 एक महत्वपूर्ण धारा है जो निवास-गृह स्थान में चोरी को संज्ञान में लेती है। यह धारा उन अव्यवस्थित घरों और निवास स्थलों के खिलाफ है जो एक व्यक्ति की सुरक्षा और सामंजस्यिक वातावरण को खतरे में डाल सकते हैं। किसी भी व्यक्ति के निवास स्थान में चोरी करना एक गंभीर अपराध है और धारा 380 भारतीय कानूनी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कि सामाजिक न्याय और सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यह धारा बताती है कि किसी भी अन्य व्यक्ति के निजी स्थान में हस्तक्षेप करना अवैध है और ऐसा करने वाले को सख्त सजा दी जाएगी।

धारा 380 क्या है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 380 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी निवास-गॄह स्थान में चोरी करता है, तो वह भारतीय कानून के अंतर्गत दोषी पाया जाता है। यह स्थान किसी भी प्रकार का मानव निवास या संपत्ति जैसे कोई इमारत, तम्बू या जलयान आदि हो सकती है।

धारा 380 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 380 के अंतर्गत, निवास-गॄह स्थान में चोरी करना जैसे अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता और इसके साथ ही आर्थिक दंड के रूप जुर्माने का भी प्रावधान है।

अपराध

निवास-गॄह स्थान में चोरी करना

दंड

7 साल का कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 380 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 380 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 380 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता नहीं किया जा सकता है।

धारा 380 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 380 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 380 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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