भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 373 वेश्यावृत्ति और अन्य अनैतिक कारोबारों से सम्बंधित अपराधों के बारे में संज्ञान लेती है। इस धारा के अंतर्गत, नाबालिग को वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए खरीदना, उसे भाड़े पर लेना या उस पर कब्जा करना एक बेहद गंभीर अपराध माना जाता है। धारा 373 में इस प्रकार के अपराधों के लिए कठोर दण्ड का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार के अपराधों के कारण नाबालिगों की सुरक्षा और सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। समाज को इस प्रकार के दुष्प्रचार और सामाजिक बुराइयों के बारे में जागरूक होना चाहिए और उनके खिलाफ लड़ाई में सक्रिय भाग लेना चाहिए।
भारतीय दंड संहिता की धारा 373 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी नाबालिग व्यक्ति (जिसकी आयु अठारह वर्ष से कम हो) को यह जानते हुए भी कि उसे किसी भी आयु में वेश्यावॄत्ति या किसी व्यक्ति से अवैध संभोग करने के लिए या किसी विधिविरुद्ध और दुराचारिक प्रयोजन के काम में लाया या उसका उपयोग किया जाएगा, फिर भी उसे खरीदेगा, भाड़े पर लेगा, या उस पर कब्जा करके अभिप्राप्त करेगा, ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 373 के अंतर्गत, वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदने जैसे अपराधों के लिए 10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना, भाड़े पर लेना या कब्जा करना |
दण्ड |
10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 373 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 373 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 373 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 373 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
आईपीसी 362 का अन्वेषण करें: कानून को समझेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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