357 IPC in Hindi | धारा 357 क्या है?

357 IPC in Hindi

357 IPC in Hindi

भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 357 बल द्वारा सदोष परिरोध करने के अपराधों के बारे में संज्ञान लेती है। यह धारा विशेषतः उन परिस्थितियों को ध्यान में रखती है जहां किसी व्यक्ति के खिलाफ सदोष परिरोध के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया जाता है या अपराधिक तरीके से धमकाया जाता है। सदोष परिरोध करना एक बेहद गंभीर अपराध है। इस धारा के तहत, अपराधी को कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। यह धारा समाज में सुरक्षा का माहौल बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

धारा 357 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 357 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करके उस व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्न करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भी भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाता है।

धारा 357 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 357 के अंतर्गत किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने जैसे अपराधों के लिए 1 साल के कारावास या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान किया गया है।

अपराध

किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना

दण्ड

1 साल के कारावास या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य)

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 357 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 357 के अंतर्गत किये जाने अपराधों को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 357 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को किसी भी श्रेणी के समक्ष पेश किया जाता है। इस तरह के मामलों में न्यायालय की अनुमति से व पीड़ित व्यक्ति (जिस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया गया हो) की सहमति से समझौता भी किया जा सकता है।

धारा 357 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 357 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 357 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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